वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना की राज सहायता में की गई वृद्धि

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#पर्वतीय क्षेत्र में गैर वाहन मद में अब 33 लाख और मैदानी क्षेत्र में 25 लाख रुपये तक की मिलेगी सहायता #वाहन मद में सहायता राशि 15 से बढ़ाकर 20 लाख

देहरादून। राज्य में पर्यटन क्षेत्र की ध्वजवाहक वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना के अन्तर्गत दी जाने वाली राज सहायता में लगभग दोगुने से भी अधिक की वृद्धि की गई है। पर्वतीय क्षेत्र में गैर वाहन मद में पर्यटन इकाईयों की स्थापना के लिए अब 33 लाख (33 प्रतिशत) जबकि मैदानी क्षेत्र में अधिकतम 25 लाख (25 प्रतिशत) तक की सब्सिडी का लाभ मिल सकेगा। टैक्सी वाहनों की खरीद के लिए यह राशि 15 लाख (25 प्रतिशत) तथा इलेक्ट्रिक/लग्जरी बस के लिए अधिकतम 20 लाख (50 प्रतिशत) होगी।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस फैसले को स्वीकृति प्रदान की गई। योजना की नियमावली में संशोधन करते हुए गैर वाहन मद में सरकारी सहायता की अधिकतम राशि को 15 लाख से बढ़ाकर 33 लाख कर दिया गया है। इलेक्ट्रिक व लक्जरी बस हेतु मिलने वाली अधिकतम सहायता राशि को मौजूदा 15 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दिया गया है। वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना नियमावली 2002 में नियम-6 के तहत गैर वाहन मद में पर्वतीय क्षेत्र हेतु पूंजी संकर्म की लागत का 33 प्रतिशत या 15 लाख रुपये जो कम हो, का प्रावधान था। इसे बढ़ाकर 33 प्रतिशत या 33 लाख रुपये कर दिया गया है। इलेक्ट्रिक व लक्जरी बस की खऱीद पर मिलने 50 प्रतिशत या अधिकतम 15 लाख रुपये, इसमें जो भी कम हो, की राजकीय सहायता राशि का प्रावधान था। लेकिन संशोधन के बाद अब सहायता राशि को 15 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त जबकि मैदानी क्षेत्र में मिलने वाली सहायता राशि को 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 25 लाख रुपये करने की घोषणा की गयी है।

प्रदेश सरकार ने वर्ष 2002 में पर्यटन को उद्योग के रूप में विकिसत करने के उद्देश्य से पर्यटन स्वरोजगार योजना की शुरुआत की थी। बाद में इसका नाम ‘वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार नियमावली 2002’ कर दिया गया। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने माननीय मुख्यमंत्री के नेतृत्व में मंत्रिमंडल द्वारा लिये गये फैसले का स्वागत किया। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में पर्यटन के क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध कराने वाली यह बेहद लोकप्रिय योजना है। योजना के प्रारंभ से वर्तमान तक इस योजना में 6739 स्थानीय व्यक्तियों को लाभान्वित किया जा चुका है।

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