दुर्घटना वाले दिन पिता राजीव ने चाचा संजय को विमान उड़ाने से किया था मनाः राहुल

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नयी दिल्ली। अपने पिता राजीव गांधी की तरह विमान उड़ाने के शौक को याद करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि उनका मानना है कि पायलट होने से सार्वजनिक जीवन में भी बहुत कुछ सीखने को मिलता है और बड़े स्तर पर चीजों को देखने का नजरिया विकसित होता है। कांग्रेस के सोशल मीडिया खातों पर बृहस्पतिवार को डाले गए वीडियो में राहुल ने कहा कि जब उनके पिता विमान उड़ा रहे होते थे तब उनकी मां सोनिया गांधी हमेशा चिंता करती थीं। उन्होंने कहा कि जिस दिन राजीव के भाई संजय गांधी का विमान दुर्घटना में निधन हुआ था, उस दिन राजीव ने उन्हें विमान उड़ाने से मना किया था। हाल में भारतीय युवा कांग्रेस द्वारा आयोजित राजीव गांधी फोटो प्रदर्शनी में बनाए गए पांच मिनट से अधिक के वीडियो में राहुल ने अपने पिता के साथ विमान में बिताये गए समय को याद किया।

उन्होंने कहा कि वह अपने पिता के साथ हर सुबह विमान में निकल पड़ते थे और दोनों को ही विमान उड़ाना पसंद था। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, “जब भी वह विमान उड़ाने जाते थे मेरी मां चिंता में रहती थीं। यह इतना खतरनाक था और वह चिंता में रहती थीं।” उन्होंने कहा, “एक बार कुछ समस्या हो गई थी…उनके (राजीव गांधी) विमान में कुछ समस्या थी। मुझे याद है मेरी मां एकदम परेशान हो गई थीं।” वीडियो में राहुल ने अपने चाचा संजय गांधी की विमान दुर्घटना में हुई मौत को भी याद किया और कहा कि जिस दिन वह भीषण दुर्घटना हुई उस दिन राजीव ने अपने छोटे भाई को विमान उड़ाने से मना किया था।

राहुल ने वीडियो में कहा, “मेरे चाचा एक विशेष प्रकार का विमान उड़ा रहे थे- वह पिट्स था। वह बेहद तेज विमान था। मेरे पिता ने उनसे कहा कि ऐसा मत करो। मेरे चाचा के पास उतना अनुभव नहीं था। मेरे चाचा के पास तीन से साढ़े तीन सौ घंटे विमान उड़ाने का अनुभव था, वही जितना मुझे है।” उन्होंने कहा, “और उन्हें वह विमान नहीं उड़ाना चाहिए था। और उन्होंने उड़ाया। और वही हुआ जो उड़ाने का अनुभव न होने पर होता है। आसानी से खुद की जान ली जा सकती है।” नई दिल्ली के सफदरजंग हवाई अड्डे के पास 23 जून 1980 को संजय गांधी का विमान दुर्घटना में निधन हो गया था।

एक पायलट किस प्रकार खुद को एक नेता के रूप में प्रशिक्षित करता है, इस पर राहुल गांधी ने कहा कि पायलटों में एक विशेष प्रकार का गुण होता है जो उन्हें प्रशिक्षण से प्राप्त होता है और वह यह है कि उसे 30 हजार फुट की ऊंचाई से दिखने वाले दृश्य से अपनी नजर को कॉकपिट के भीतर के दृश्य लाना होता है। उन्होंने कहा, “यदि आप कॉकपिट के भीतर की चीजों पर नजर नहीं रख पाएंगे तो समस्या खड़ी हो जाएगी। और अगर आप 30 हजार फुट की ऊंचाई से दिखने वाले दृश्य से नजर हटा लेंगे तब भी दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए एक पायलट और मैं एक ही हैं, हम इन दोनों जगहों पर तेजी से नजर रखते हैं।

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