शांतिकुंज की अधिष्ठात्री के जन्मदिन पर अनेक संतों सहित राजनेताओं ने दी शुभकामनाएँ

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हरिद्वार। करोड़ों गायत्री परिवार के श्रद्धा के केन्द्र रूप में विराजमान शांतिकुंज की अधिष्ठात्री श्रद्धेया शैलदीदी का 68वाँ जन्मदिन सादगी से मनाया गया। इस अवसर पर प्रातःकाल दीपमहायज्ञ के साथ जन्मदिवस के वैदिक कर्मकाण्ड पूरा किया। अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या ने मंगल तिलक कर पुष्पाहार भेंट किया। पश्चात शांतिकुंज, देसंविवि परिवार ने पुष्पगुच्छ भेंटकर दीर्घायृु एवं स्वस्थ जीवन की मंगलकामना की। तो वहीं शांतिकुंज के नौनिहालों ने भावगीत प्रस्तुत कर अपनी शुभेच्छा प्रकट की। इस अवसर पर कनाडा, अमेरिका, लंदन, कोलंबो, मलेशिया, मांट्रियल, इंग्लैण्ड आदि देशों के अलावा देशभर के गायत्री परिजनों ने अपनी-अपनी मंगलकामनाएँ दी। गुजरात के मुख्यमंत्री श्री विजय भाई रूपाणी, प्रख्यात संत गोविन्दगिरी जी महाराज, प्रसिद्ध कथावाचक सुधांशु महाराज, स्वामी चिन्दानंद मुनि सहित राजनीति एवं अध्यात्म क्षेत्र के अनेक ख्यातिलब्ध हस्ताक्षरों ने अपनी शुभकामनाएँ दी।
विकट से विकट परिस्थितियों में भी श्रद्धेया जीजी संघर्ष पथ पर डटी हैं। संस्थापकद्वय पं. श्रीराम शर्मा आचार्य एवं माता भगवती देवी शर्माके बाद उन्होंने जहाँ कुशल संगठक के रूप में इस परिवार की बागडोर सँभाला, तो वहीं उन्होंने नारी जागरण आन्दोलन द्वारा देश-विदेश में नारियों को पर्दाप्रथा, मूढ़मान्यताओं से निकालकर उन्हें न केवल घर, परिवार समाज में समुचित सम्मान दिलाया है, अपितु धर्म-अध्यात्म से जोड़कर वैदिक कर्मकाण्ड परंपरा में दीक्षित एवं पारंगत करके उन्हें ब्रह्मवादिनी की भूमिका संचालित करने योग्य बनाया है। आज उन्हीं के पुरुषार्थ से देश-विदेश की लाखों नारियाँ यज्ञ संस्कारों का सफल संचालन कर रही हैं। संगठन की मजबूती एवं विस्तार के साथ उसके उद्देश्य को सम्पूर्ण मानवता तक पहुँचाने के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन होम दिया है। करोड़ों लोगों के विराट् जन समूह को आश्वस्त करते हुए वे कहती हैं- ‘यह दैवी शक्ति द्वारा संचालित मिशन सतत आगे ही बढ़ता जायेगा। कोई भी झंझावत इसे हिला नहीं सकेगा। देवसंस्कृति-भारतीय संस्कृति, विश्व संस्कृति बनेगी।’ इस समय श्रद्धेया जीजी लाखों-करोड़ों जनसमुदाय के लिए आशा के केन्द्रबिन्दु हैं।
इस अवसर पर गायत्री परिवार प्रमुखद्वय श्रद्धेया शैलदीदी एवं श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या ने पंचतत्त्व के प्रतीक के रूप में पाँच कलशों का पूजन किया। साथ ही आगामी नववर्ष के लिए टेबल कैलेण्डर एवं प्रज्ञावतार लीलामृत (प्रबंध काव्य) पुस्तक का विमोचन किया। इस दौरान श्री शचीन्द्र भटनागर को उनकी उत्कृष्ट कविताओं के लिए युग सृजन अभियानकी क्रांतदर्शी कवि उपाधि देकर सम्मानित किया। वहीं सायंकाल गीता जयंती के अवसर पर श्रीगीता जी का सामूहिक पाठ एवं दीपांजलि कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।

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