नई टिहरी: स्वयंसेवी संस्थाओं और आरसीटी के माध्यम से नई टिहरी जेल में लगभग 80 कैदियों को प्रशिक्षित कर स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने का काम किया जा रहा है। कारागार अधीक्षक अनुराग मलिक कैदियों को स्वरोजगार व हुनर के लिए आगे लाने का काम निरंतर कर रहे हैं। कैदियों के बनाये उत्पादों के लिए आनलाइन बाजार के साथ ही सरकारी विभागों व स्थानीय दुकानों को उत्पाद दिये जाने की योजना बनाई जा रही है।
विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर कारागार अधीक्षक अनुराग मलिक ने डीएम इवा श्रीवास्तव सहित जिला जज और सामाजिक लोगों को जेल में कैदियों द्वारा की जा रही गतिविधियों की जानकारी देते हुए उत्पादों के लिए बाजार पैदा करने की कवायद पर चर्चा की।
जेल में लगभग 250 कैदियों में से लगभग 80 कैदी आरसीटी व स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से गमले, अचार, जैम, रिंगाल के प्रोडक्ट, धूप, अगरबती, रिंगाल की हैट, रिंगाल के लैंप व रिंगाल की कैप बनाने का काम कुशलता से करने लगे हैं। कैदियों के हुनर को देखते हुए डीएम इवा ने सभी जिला स्तरीय अधिकारियों की बैठक कर जेल में बने उत्पादों का डेमो देकर सभी विभागों को जरूरत के अनुरूप उत्पाद जेल से खरीदने को प्रेरित करेंगे।
डीएम ने स्वयं जिला कार्यालय के लिए गमलों की डिमांड दी है। डीएम ने उन के उत्पाद के लिए जेल को 10 हजार रुपये की उन भी दी है। कारागार अधीक्षक अनुराग मलिक का कहना है कि कैदियों के हुनर से बने उत्पादों के लिए आनलाइन बाजार तलाशने का काम किया जायेगा। इसके साथ ही स्थानीय बाजार भी तैयार किया जायेगा।
जेल में बने उत्पादों की श्रेणी व मूल्य तय कर लोगों को आनलाइन उत्पाद उपलब्ध करवाए जायेंगे। कहा कि कैदियों को श्रमिकों की विभिन्न श्रेणियों में बांटते हुए प्रतिदिन के हिसाब से 65, 56 व 44 रुपये की दर से मेहनताना दिया जाता है। कैदियों को स्वरोजगार के लिए विभिन्न उत्पादों को बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है, ताकि कैद से बाहर जाने पर समाज में स्वरोजगार के बूते अपना कारोबार कर सकें। आरसीटी से प्राप्त प्रशिक्षण सर्टिफिकेट के हिसाब के आधार पर बैंक से लोन भी पा सकेंगे।
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