उतराखण्ड ग्लोबल इन्वेस्टर समिट का मतलब  प्राकृतिक संसाधनों,घरेलू इन्फैक्चर्स पर कारपोरेट का कब्जा होगाः सीपीएम

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देहरादून: मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कहा है कि डबल इन्जन सरकार द्वारा ग्लोबल इन्वेस्टर समिट के बहाने राज्य के चहुमुखी विकास का जो दावा किया जा रहा है ,  वह वास्तविकता से परे है । बल्कि समिट के फैसले राज्य के संसाधनों पर कारपोरेट का‌ कब्जा होगा । उक्त आशय का विचार पार्टी के राज्य स्तरीय बैठक में पार्टी ने व्यक्त किये , इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि पीएम मोदी द्वारा  शुभारंभ किये गये ग्लोबल इन्वैस्टर समिट में  राज्य में रोजगार की सम्भावनाओं पर चार चांद लगाने का दावा किया जबकि हकीकत ‌है कि, उत्तराखण्ड  सैनिकों की भूमि है , मोदी सरकार द्वारा सेना में अग्निबीर योजना ने सर्वाधिक नुकसान उत्तराखण्ड के सैनिक परिवारों को पंहुचाया है । वक्ताओं ने कहा है कि गत बर्ष रक्षा क्षेत्र की प्रतिष्ठित आयुध निर्माणी फैक्ट्रियों को नीजि हाथों में बेचकर यहां सैकड़ों परिवारों का रोजगार छीना गया ,मोदीजी की नये इण्डिया में रहते ‌डबल इन्जन सरकार द्वारा पहले के मुकाबले सरकारी नौकरियों में भारी कटौती की है तथा इसके स्थान पर कम वेतन में आउटसोर्स पर नौकरियों द्वारा युवाओं का शोषण किया जा रहा है ।‌ वक्ताओं ने कहा है कि नये इण्डिया में  राज्य में ओनजीसी ,बीएचईल ,पकचस ,एनटीपीसी ,जीकब, सरकार व सार्वजनिक प्रतिष्ठानों आदि में रोजगार पहले के मुकाबले काफी कम हुऐ हैं । वक्ताओं ने कहा है कि  सरकार द्वारा श्रम कानूनों को कमजोर कर फैक्टरियों में मजदूरों से ‌कम बेतन में ज्यादा काम के लिऐ जाने के लिऐ विवश किया जा है ,औधोगिक क्षेत्रों में काम का 8 घण्टे के  समय बजाय‌10 से 12 घण्टे काम लिया जाना आम बात है । वक्ताओं ने कहा है कि स्कीम वर्कर आंगनबाड़ी ,आशाओं तथा भोजनमाताओं काम का बोझ बहुत ज्यादा है तथा अक्सर वीआईपी मूमैन्ट में इनपर अतिरिक्त ‌कार्य लिया जाना आम बात है । इसी प्रकार सफाई कर्मियों को काम मुकाबले काफी कम बेतन व इनका रोजगार पूर्णत अस्थाई कर दिया गया है। वक्ताओं ने कहा समिट के नाम पर देहरादून राजधानी को चकाचैंध पर कई सौ करोड़ खर्च हुऐ हैं ,जबकि देहरादून कि 55प्रतिशत आबादी मलिन बस्तियों में रहकर नारकीय जीवन जीने के लिऐ विवश हैं । यह भी देखने में आया है कि समिट से पहले देहरादून के मुख्य मार्गों से रेहड़ी ,पटरी तथा लधु व्यवसायियों को डण्डे के बल पर घर बैठने के‌ लिऐ मजबूर किया गया है । वक्ताओं ने कहा है कि समिट  में ऐसे -ऐसे कारपोरेट घराने शामिल हो रहे हैं ,जिनका स्वयं की पृष्ठभूमि जन विरोधी रही है, हाल ही में इन्ही ‌के‌ कारण‌‌‌ सिल्यक्यारा उत्तरकाशी सुरंग घटना घटित हुई । वक्ताओं ने कहा है कि आज कूड़े उठाने से लेकर ,2700 करोड़ के उत्तराखण्ड रेलवे परियोजना , चारधाम सड़क परियोजना (आल वेदर रोड़),स्मार्ट सिटी आदि अनेक परियोजनाऐं दिल्ली पीएमओ से निर्धारित हो रही हैं, जिसका ठेका सिधे अडानी ,अम्बानी जैसे बड़े – बड़े कारपोरेट घरानों को  मिल रहा है  ,वक्ताओं ने कहा है कि छोटे से बड़े कामों में बाहरी कम्पनियां कर रही हैं तथा स्थानीय लोगों से लगातार रोजगार छीना जा रहा है‌।
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