आतंकवाद क्षेत्रीय, वैश्विक शांति के लिए प्रमुख खतरा: प्रधानमंत्री मोदी

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मोदी ने आंतकवाद को क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए प्रमुख खतरा करार देते हुए मंगलवार को कहा कि कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को अपनी नीतियों के औजार के रूप में इस्तेमाल करते हैं और आतंकवादियों को पनाह देते हैं तथा शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) को ऐसे देशों की आलोचना करने में कोई संकोच नहीं करना चाहिए।

प्रधानमंत्री मोदी ने डिजिटल माध्यम से शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की शिखर बैठक को संबोधित करते हुए यह बात कही। बैठक में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आदि ने हिस्सा लिया। मोदी ने कहा,  आंतकवाद क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए प्रमुख खतरा बना हुआ है। इस चुनौती से निपटने के लिए निर्णायक कार्रवाई की आवश्यकता है।

आतंकवाद चाहे किसी भी रूप में हो, किसी भी अभिव्यक्ति में हो, हमें इसके विरुद्ध मिलकर लड़ाई लड़नी होगी। पाकिस्तान के परोक्ष संदर्भ में उन्होंने कहा कि कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को अपनी नीतियों के औजार के रूप में इस्तेमाल करते हैं, आतंकवादियों को पनाह देते हैं और एससीओ को ऐसे देशों की आलोचना करने में कोई संकोच नहीं करना चाहिए।

अफगानिस्तान का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा,  अफ़ग़ानिस्तान को लेकर भारत की चिंताएं और अपेक्षाएं एससीओ के अधिकांश देशों के समान हैं। हमें अफगानिस्तान के लोगों के कल्याण के लिए मिलकर प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि भारत और अफगानिस्तान के लोगों के बीच सदियों पुराने मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं और पिछले दो दशकों में हमने अफगानिस्तान के आर्थिक और सामाजिक विकास में काफी योगदान दिया है।

मोदी ने कहा कि 2021 के घटनाक्रम के बाद भी हम मानवीय सहायता भेजते रहे हैं। यह आवश्यक है कि अफगानिस्तान की भूमि पड़ोसी देशों में अस्थिरता फैलाने या चरमपंथी विचारधाराओं को प्रोत्साहित करने के लिए प्रयोग न की जाए। 2021 में अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद वहां की सत्ता पर तालिबान ने कब्जा कर लिया था।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा,  वर्तमान समय में वैश्विक स्थिति एक महत्वपूर्ण पड़ाव पर है। विवादों, तनावों और महामारी से घिरे विश्व में खाद्यान्न, ईंधन और उर्वरक संकट सभी देशों के लिए एक बड़ी चुनौती है। प्रधानमंत्री ने कहा,  हमें मिलकर यह विचार करना चाहिए कि क्या हम एक संगठन के रूप में हमारे लोगों की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने में समर्थ है।

क्या हम आधुनिक चुनौतियों का सामना करने में सक्षम है? क्या एससीओ एक ऐसा संगठन बन रहा है जो भविष्य के लिए पूरी तरह से तैयार है? उन्होंने कहा कि पिछले दो दशकों में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) पूरे यूरेशिया क्षेत्र में, शान्ति, समृद्धि और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण प्लेटफार्म के रूप में उभरा है। मोदी ने कहा कि इस क्षेत्र के साथ, भारत के हजारों वर्ष पुराने सांस्कृतिक और लोगों के बीच संबंध, हमारी साझा विरासत का जीवंत प्रमाण हैं। उन्होंने कहा कि एससीओ के अध्यक्ष के रूप में, भारत ने हमारे बहुआयामी सहयोग को नयी ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए निरंतर प्रयास किये हैं।

मोदी ने कहा कि इन सभी प्रयासों को हमने दो मूलभूत सिद्धांतों पर आधारित किया है। इसमें पहला बसुधैव कुटुम्बकम यानी पूरी धरती हमारा परिवार है और दूसरा सुरक्षा, अर्थव्यवस्था एवं व्यापार, संपर्क, एकता, संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान और पर्यावरण है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने एससीओ में सहयोग के पाँच नए स्तंभ बनाए हैं जिसमें स्टार्टअप एवं नवाचार, पारंपरिक औषधि, डिजिटल समावेशिता और युवा सशक्तीकरण, साझी बौद्ध धरोहर शामिल हैं।

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में भारत, रूस, चीन, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिजिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं। इसे एक महत्वपूर्ण आर्थिक एवं सुरक्षा समूह माना जाता है । भारत ने एससीओ की अध्यक्षता पिछले वर्ष 16 सितंबर को समरकंद शिखर सम्मेलन के दौरान संभाली थी। इस समूह के दो निकाय- सचिवालय और एससीओ क्षेत्रीय आतंकवाद रोधी ढांचे (एससीओ रैट्स) के प्रमुख भी मंगलवार को इस बैठक में हिस्सा ले रहे हैं। इस शिखर बैठक का मुख्य विषय सुरक्षित एससीओ की ओर (टूवर्ड सिक्योर एससीओ) है।

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