देहरादून: श्री गुरू गोबिंद सिह महाराज के परोपकारी जीवन के अनमोल इतिहास को याद करते हुए मकर संक्राति के अवसर पर श्री गुरूद्वारा साहिब डाकरा में चल रहे गुरू ग्रन्थ साहिब के अखण्ड पाठ का भोग विधिवत रूप से संपन हुआ। हजूरी रागी गुरूद्वारा डाकरा भाई जसबीर सिंह द्वारा कीर्तन एवं अरदास की गई। कथावाचक र्भाई जसप्रीत सिंह ने कथा की।
भाई मनप्रीत सिंह ने शब्द कीर्तन’ ’’हमरा ठाकुर सबसे ऊचा ’’। ”इन्ही की किरपा से सजे हम है ”। ”सगल द्वार को छाड़ के गहयो तुहारो द्वार, बहे गहे की लाज आस गोबिंद दास तुहार ”। ” देह शिवा बर मोहे ईहे, शुभ कर्मन ते कभुं न टरूं, न डरौं अरि सौं जब जाय लड़ौं, निश्चय कर अपनी जीत करौं, अरु सिख हों आपने ही मन कौ इह लालच हउ गुन तउ उचरों’ ” का कीर्तन किया गया।
इसके उपरांत दरबार साहिब अमृतसर (पंजाब) से भाई जुझार सिंह ने ’’नानक तिना बसंत है जिन घरि वसिआ कंत॥ जिनके कंत दिसापुरी से अहिनिसी फिरहि जलंत॥ ष् तू मेरे प्यारो ता किसी भूखाष् कहे नानक विचार देखो, बिन सतगुरु मुक्त न पाई“ ।
जब भाई जुझार सिंह ने “सतनाम वाहे गुरू, वाहे गुरू, वाहे गुरू, वाहे गुरू, वाहे गुरू,” का जाप किया तब पूरा माहोल भक्तिमय हो गया और संगता निहाल हो गई। संगतों ने गुरू महाराज का आशीर्वाद लिया व प्रसाद ग्रहण किया। इस दौरान भारी संख्या मे संगतों ने लंगर छका।
शब्द कीर्तन व अरदास के साथ कार्यक्रम की समाप्ति हुई। कार्यक्रम मे गुरूद्वारा साहिब डाकरा के प्रधान दलीप सिह, महासचिव गुरमीत सिह कैथ, देवेन्द्र पाल सिह, इंदरजीत सिंह ,सरवण सिह, जगजीत सिह, अमरजीत सिह, मनीत सिंह मक्कड़, हरमिंदर सिंह मक्कड़, गुरदीप सिंह, अंगददीप सिंह, रंजीत कौर, अमरजीत कौर, जसविंदर कौर, कमलजीत कौर, स्वर्ण कौर, सरबजीत कौर, त्रिलोचन कौर, पवन कौर, गुरचरण कौर, ज्ञान कौर, मनमीत, हरप्रीत, प्रभजोत, परमजीत, राजेंद्र कौर सोंधी, परबजोत कौर, हरदीप सिंह, हरमिंदर सिंह, सुरजीत सिंह, दलजीत सिंह, कुलदीप सिंह, हरविंदर कौर, संगीता कौर, तेजवर सिह, सहित कई श्रद्धालू मौजूद थे।
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