भारत का जनमन ‘आकांक्षी जनमन’ है: प्रधानमंत्री मोदी

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 76वें स्वतंत्रता दिवस पर देश को संबोधित करते हुए कहा कि आकांक्षी समाज किसी भी देश की सबसे बड़ी संपत्ति होता है। भारत का जनमन आकांक्षी जनमन है।

देश के 76वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से ध्वजारोहण कर राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि देश का हर नागरिक चीजों को बदलना चाहता है। सकारात्मक बदलाव देखना चाहता है। वह अपनी आंखों के सामने बदलाव देखना चाहते हैं।

उन्होंने कहा कि आज का दिवस ऐतिहासिक है। एक पुण्य पड़ाव, नई राह, नए संकल्प और नए सामर्थ्य के साथ कदम बढ़ाने का शुभ अवसर है।

देशवासियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं विश्व भर में फैले हुए भारत प्रेमियों को, भारतीयों को आजादी के इस अमृत महोत्सव की बहुत-बहुत बधाई देता हूं।” उन्होंने कहा कि आइए, स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भारत को सशक्त, समृद्ध बनाने और विश्वगुरु के पथ पर आगे ले जाने का संकल्प लें।

उन्होंने कहा, “न सिर्फ हिंदुस्तान का हर कोना, बल्कि दुनिया के हर कोने में आज किसी न किसी रूप में भारतीयों के द्वारा या भारत के प्रति अपार प्रेम रखने वाले हमारा तिरंगा आन-बान-शान के साथ लहरा रहे हैं।”

स्वतंत्रता सेनानियों का स्मरण कराते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हिंदुस्तान का कोई कोना, कोई काल ऐसा नहीं था, जब देशवासियों ने सैंकड़ों सालों तक गुलामी के खिलाफ जंग न की हो। जीवन न खपाया हो। यातनाएं न झेली हों, आहुति न दी हो। आज ऐसे हर महापुरुष को, हर त्यागी और बलिदानी को नमन करने का अवसर है।

उन्होंने कहा कि देश कृतज्ञ है- मंगल पांडे, तात्या टोपे, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, चंद्रशेखर आजाद, अशफाक उल्ला खां, राम प्रसाद बिस्मिल सरीखे अनगिनत ऐसे क्रांति वीरों का, जिन्होंने अंग्रेजों की हुकूमत की नींव हिला दी थी। आगे उन्होंने कहा कि आजादी की जंग लड़ने वाले और आजादी के बाद देश बनाने वाले भी अनेक महापुरुषों को आज नमन करने का अवसर है।

विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि 14 अगस्त को विभाजन भयावह स्मृति दिवस पर हमने भारी मन से उन लोगों को याद किया, जिन्होंने हमारे तिरंगे के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।

देशवासियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि 2014 में देश की जनता ने मुझे जिम्मेदारी दी थी। वे आजादी के बाद पैदा हुए पहले व्यक्ति हैं, जिसे लाल किले से लोगों को संबोधित करने का मौका मिला।

अपने संबोधन में अमृत महोत्सव काल की चर्चा करते हुए कहा कि अमृत महोत्सव के दौरान देशवासियों ने देश के हर कोने में लक्ष्यावधि कार्यक्रम किये। शायद इतिहास में इतना विशाल, व्यापक, लंबा एक ही मकसद का उत्सव मनाया गया हो। हिंदुस्तान के हर कोने में उन सभी महापुरुषों को याद करने का प्रयास किया गया, जिनको किसी न किसी कारणवश इतिहास में जगह न मिली या उनकों भुला दिया गया था।

उन्होंने कहा कि आज देश ने खोज-खोजकर ऐसे वीरों, महापुरुषों, बलिदानियों, सत्याग्रहियों को याद किया, नमन किया।

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