तीर्थनगरी के संतों महंतो द्वारा ब्रह्मलीन स्वामी दर्शनानन्द महाराज की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित

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हरिद्वार। हरिद्वार की प्रख्यात धार्मिक संस्था श्री गरीबदास परमानन्द आश्रम के परमाध्यक्ष ब्रह्मलीन स्वामी दर्शनानन्द महाराज उर्फ़ राधा देवी को चतुर्थ पुण्यतिथि पर तीर्थनगरी के संतों महंतो ने भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर महामंडलेश्वर हरिचेतनानंद महाराज ने कहा कि संतों का जीवन समाज व देश को समर्पित होता है। ब्रह्मलीन स्वामी दर्शनानंद महाराज ने अपना संपूर्ण जीवन समाज को समर्पित कर समाज सेवा की। उन्होने जीवन पर्यन्त समाजहित मे कार्य किये, ब्रह्मलीन स्वामी दर्शनानन्द महाराज सरल, सहज, उदारवादी सन्त थी। महामंडलेश्वर हरिचेतनानंद महाराज ने कहा कि देश में गीता जयंती महोत्सव भी मनाया जा रहा है ओर तीर्थनगरी मे स्वामी दर्शनानन्द महाराज की पुण्यतिथि भी मनायी जा रही है। श्रीमद्भागवत गीता का जीवन मे बहुत महत्वपूर्ण स्थान है, श्रीमद्भगवत गीता जीवन के पहले भी ओर जीवन के बाद भी अपना महत्व स्थान रखती है। ब्रह्मलीन स्वामी दर्शनानंद महाराज की पुण्यतिथि पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि मुनष्य को जीवन भर सतकर्म करने चाहिए। कर्म के अनुसार ही जीवन का बेँक बेलैंस बनता है। उन्होंने कहा कि गीता को सुनने वाला ओर सुनाने वाला गृहस्थ था, तो गृहस्थ जीवन मे गीता का महत्वपूर्ण स्थान है। देश ओर दुनिया मे केवल श्रीमद्भागवत गीता की ही जयंती मनाई जाती है अन्य किसी ग्रंथ की नहीं मनाई जाती। पुण्यतिथि सभा की अध्यक्षता करते हुए महामंडलेश्वर डा प्रेमानन्द महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी दर्शनानन्द महाराज त्याग तपस्या की प्रतिमूर्ति थी। उन्होंने गृहस्थ जीवन त्याग कर समाजसेवा व धर्मसेवा को अपनाया ओर जीवनभर मानव कल्याण के कार्य किये। पुण्यतिथि में पधारे सन्त महंतो का श्री गरीबदास परमानन्द आश्रम के परमाध्यक्ष व संचालक महंत केशवानंद महाराज ने माल्यार्पण कर स्वागत करते हुए कहा कि सद्गुरुदेव महाराज के बताये मार्गदर्शन पर चलकर स्वामी जी के प्रकल्पो को निरंतर समाज सेवा मे बढ़ाया जा रहा है, यही ब्रह्मलीन गुरुदेव को सच्ची श्रद्धांजलि है, ब्रह्मलीन स्वामी दर्शनानन्द महाराज को महामंडलेश्वर सुरेन्द्र मुनि महाराज, महंत परमानन्द महाराज, महंत दुर्गादास महाराज, महंत हरिनानन्द, महंत कमलदास महाराज,महंत ज्ञानानंद महाराज, महंत सुमितदास महाराज, महंत सूर्यानंद, महंत योगेन्द्रानन्द शास्त्री, स्वामी कृष्णदेव, स्वामी नित्यानंद, स्वामी कृष्णानंद, महंत प्रेमदास, श्रवणानंद, स्वामी विवेकानंद, स्वामी उमानंद महाराज, पार्षद अनिरुद्ध भाटी, महावीर वशिष्ठ, अनिल वशिष्ठ ने भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की।

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