मुफ्त बिजली देने वाली पार्टियों से जनता करें सवाल: नेगी

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प्रदेश पर है 58000 करोड़ से अधिक का कर्ज प्रतिवर्ष 160-170 करोड़ यूनिट्स चली जाती है लाइनलॉस में! 600-700 करोड़ की चपत प्रतिवर्ष लगती है लाइनलॉस से कुल वितरण एवं ए.टी. एंड सी हानियां हैं 30- 35 फीसदी कर्ज का ब्याज चुकाने के लिए लिया जा रहा कर्ज पर कर्ज कर्मचारियों को वेतन के पड़ रहे लाले।
जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि तमाम राजनैतिक दल आगामी चुनाव को देखते हुए प्रदेश की जनता को मुफ्त बिजली देने की बात कर रहे हैं, जिस पर इन राजनैतिक दलों को जनता को जवाब देना होगा। नेगी ने कहा कि वर्ष 2019-20 में सरकार द्वारा 14139.31 मिलियन यूनिट्स खरीदी गई एवं उसके सापेक्ष 12538.65 मिलियन यूनिट्स बेची गई, इस प्रकार 1600. 66 मिलियन यूनिट्स यानी 160 करोड़ यूनिट्स लाइनलॉस में चली गई। इसी प्रकार वर्ष 2018-19 में 14083.69 मिलियन यूनिट्स खरीद के सापेक्ष 12295.20 मिलियन यूनिट्स बेची गई, इस प्रकार 1788.49 मिलियन यूनिट्स लाइन लॉस में चली गई। इस लाइनलॉस की चलते सरकार को प्रतिवर्ष लगभग 600-700 करोड़ की चपत लग रही है। इसके अतिरिक्त वितरण एवं ए टी एंड सी हानियां 30-35 फीसदी हैं।
नेगी ने हैरानी जताई कि जिस गरीब प्रदेश पर 58000 करोड़ से अधिक का कर्ज हो तथा ब्याज चुकाने के लिए कर्ज लिया जा रहा हो, ऐसे में मुफ्त बिजली का जुमला कितने दिन धरातल पर टिक पाएगा। जनता से अपील है कि मुफ्त बिजली देने वाले राजनीतिक दलों से सवाल जरूर करें। वार्ता में दिलबाग सिंह, ओ.पी. राणा व विनोद गोस्वामी थे।

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