डिजिटल भुगतान समावेशी अर्थव्यवस्था की नींव

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देहरादून। महामारी के दौर में डिजिटल भुगतान में तीव्र उछाल देखने को मिला क्योंकि विनिमय करना आसान होने के कारण उपभोक्ताओं को डिजिटल साधन अपनाने का प्रोत्साहन मिला पिछले कुछ सालों में भारत में डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में अपार वृद्धि देखने को मिली है क्योंकि उपभोक्ता एवं व्यापारियों के लिए डिजिटल साधन अपनाना सुरक्षित और सुविधाजनक है रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) द्वारा घोषित वित्तीय साक्षरता सप्ताह के अनुरूप मास्टरकार्ड ने बताया कि डिजिटल भुगतान किस प्रकार उपभोक्ताओं को सुविधाजनक व सुगम अनुभव प्रदान करके गो डिजिटल गो सिक्योर की इस साल की थीम में योगदान दे रहे हैं।

डिजिटल भुगतान ई-कॉमर्स को बढ़ावा देने वाले सबसे बड़े तत्वों में से एक है दरवाजे पर सामान पहुंच जाने से ऑनलाईन ऑर्डर करने और डिजिटल भुगतान करने में उपभोक्ताओं का विश्वास स्थापित हुआ है साथ ही डिजिटल भुगतान द्वारा उपभोक्ताओं को विविध तरह के पेमेंट विकल्प मिलते हैं जिससे उन्हें एटीएम से पैसा निकालने की कतार में लगने या कैश लेकर चलने की जरूरत नहीं रहती और उनका जीवन आसान बनता है।

भुगतान की नई विधियों को अपनाकर जैसे कॉन्टैक्टलेस कार्ड टैप-एंड-गो क्यूआर कोड आदि के द्वारा जोखिम को कम करने और डिजिटल भुगतान को सरल व सुरक्षित बनाने में मदद मिलती है ये अत्याधुनिक टेक्नॉलॉजी व्यवहार के तरीकों के आंकलन के लिए एडवांस्ड इंटैलिजेंस का इस्तेमाल करती हैं और इन्फॉर्मेशन में अनधिकृत सेंध और ऑनलाईन धोखाधड़ी को रोकने के लिए लेयर्ड डिफेंस का निर्माण करती हैं बेहतर टेक्नॉलॉजी और जागरुकता द्वारा डिजिटल भुगतान लोगों को बचाव एवं सुरक्षित व सुगम अनुभव प्रदान करते हैं कार्ड-ऑन-फाईल टोकनाईज़ेशन से डिजिटाईज़्ड पेमेंट के परिवेश में सुरक्षा की एक और परत जुड़ जाएगी और कार्ड नंबर की जगह एक अद्वितीय वैकल्पिक नंबर यानि टोकन ले लेगा।

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