गीता जयन्ती के पावन अवसर पर पतंजलि विश्वविद्यालय में कार्यक्रम का आयोजन

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हरिद्वार। गीता जयन्ती के पावन अवसर पर पतंजलि विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित पतंजलि विश्वविद्यालय की कुलसचिव महोदया डॉ. प्रवीण पुनिया जी ने गीता को मैत्राी भाव का महान् स्रोत बताया। उन्होंने कहा कि गीता योगेश्वर श्री कृष्ण के जीवन का एक प्रतिबिम्ब है जो हर पल जीवन को दिशा प्रदान करता रहता है। लोक संस्कृति को विविध् आयामों से जोड़ने का यह एक विशाल माध्यम है। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित विद्वान् एवं तितिक्षु संन्यासी स्वामी परमार्थ देव जी ने गीता को भारत ही नहीं विश्व को एक सूत्र में पिरोने का माध्यम बताया। उन्होंने कहा कि पूज्य स्वामी योगर्षि रामदेव जी महाराज एवं परम श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण जी महाराज द्वारा योग एवं आयुर्वेद के क्षेत्र में किए गए महान् कार्यों से आज पूरी दुनिया को शारीरिक, भौतिक एवं आध्यात्मिक लाभ मिला है। गीता में कर्मयोग की पूर्ण सार्थकता को इन्होंने चरितार्थ किया है। कार्यक्रम में उपस्थित योग विज्ञान के विद्वान् प्राध्यापक डॉ. निधीश कुमार जी ने ‘युक्ताहार विहारस्य’ के द्वारा युक्त आहार एवं विहार से व्यक्ति स्वस्थ एवं समृद्ध बनता है, ऐसे विचारों को मूर्त रूप प्रदान करती है- ‘गीता’। कार्यक्रम में बी.ए. द्वितीय वर्ष की छात्राएँ, महिमा, कृति, धृति ने गीता के तृतीय अध्याय का पाठ किया। बी.ए. द्वितीय वर्ष की छात्राएँ राजलक्ष्मी एवं रिचा ने द्वादश अध्याय का पाठ किया। अजय, पंकज ने अपने विचार प्रस्तुत किए। कार्यक्रम में श्रीकृष्ण वाजपेयी, स्वामी सत्यदेव जी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. विपिन कुमार द्विवेदी ने किया। शान्ति पाठ के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

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