बॉलीवुड अभिनेता और निर्देशक सतीश कौशिक का निधन

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नई दिल्ली: बॉलीवुड अभिनेता और निर्देशक सतीश कौशिक का बृहस्पतिवार तड़के निधन हो गया. वह 66 वर्ष के थे. 13 अप्रैल 1956 में हरियाणा के महेन्द्रगढ़ में सतीश कौशिक का जन्म हुआ था. दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद सतीश कौशिक ने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में एडमिशन लिया था। 1983 में आई ‘जाने भी दो यारों’ फिल्म से उनके एक्टिंग करियर की शुरुआत हुई थी. सतीश कौशिक ने 100 से ज्यादा फिल्मों में काम किया. साल 1993 में ‘रूप की रानी, चोरों का राजा’ से बतौर निर्देशक उन्होंने अपनी पारी शुरू की और इसके बाद एक दर्जन से अधिक फिल्मों का निर्देशन किया। सबसे पहले अभिनेता अनुपम खेर ने सतीश कौशिक के निधन की जानकारी दी. खेर ने बताया कि कौशिक दिल्ली में अपने एक दोस्त के घर पर थे, जब उन्होंने बेचैनी होने की शिकायत की. खेर ने कहा, ‘‘बेचैनी महसूस होने के बाद कौशिक ने चालक से उन्हें अस्पताल ले जाने को कहा. देर रात करीब एक बजे उन्हें (अस्पताल जाते समय) रास्ते में ही दिल का दौरा पड़ा। सतीश कौशिक को अभिनय में पहचान मिस्टर इंडिया फिल्म से मिली. इस फिल्म में उन्होंने कैलेंडर का किरदार निभाया था. अनिल कपूर की ज्यादातर फिल्मों में सतीश कौशिक नजर आए. उन्होंने हास्य के साथ-साथ गंभीर किरदारों को भी निभाया. सतीश कौशिक को 1990 में फिल्म ‘राम लखन’ और 1997 में फिल्म ‘साजन चले ससुराल’ के लिए सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता का फिल्मफेयर अवार्ड दिया गया था। सतीश कौशिक ने 7 मार्च को आखिरी ट्वीट किया था. होली पार्टी कर वह बेहद खुश थे और होली में शामिल लोगों को खास तौर पर टैग किया था. सतीश कौशिक की खास बात यह थी कि वह उदास और निराश नहीं होते थे. सतीश कौशिक अक्सर ‘रूप की रानी, चोरों का राजा’ के फ्लॉप होने का मजाक उड़ाते थे. बोनी और अनिल कपूर भी सतीश कौशिक पर ‘रूप की रानी, चोरों का राजा’ के फ्लॉप होने को लेकर किस्से सुनाया करते थे। आपको बता दें कि ‘रूप की रानी, चोरों का राजा’ बहुत बड़े बजट की फिल्म थी. इस फिल्म के फ्लॉप होने से बोनी और अनिल कपूर की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई थी, लेकिन इसके बाद भी उनके रिश्ते सतीश कौशिक से हमेशा अच्छे बने रहे। सतीश कौशिक के लिए 10 अगस्त खास होता था. उन्होंने खुद अपने ट्विटर (Twitter) हैंडल से एक ट्वीट कर इस बारे में बताया था. इस ट्वीट में उन्होंने लिखा- ‘मैं एक्टर बनने के लिए 9 अगस्त, 1979 को पश्चिम एक्सप्रेस से मुंबई आया था. 10 अगस्त मुंबई में मेरी पहली सुबह थी. मुंबई ने मुझे दोस्त दिए, काम दिया, बीवी दी, बच्चे दिए, घर दिया, प्यार दिया, संघर्ष भी रहा, सफलता भी मिली, असफलता भी हाथ लगी और खुशी से जीने का साहस दिया. गुड मॉर्निंग मुंबई और उन सभी को जिन्होंने मुझे मेरे ख्वाबों से ज्यादा दिया. शुक्रिया।
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